आखिर विधायक क्यों नहीं चाहते गैरसैण में हो बजट सत्र..

आखिर दोनों ही दलों के विधायक क्यों नहीं चाहते कि बजट गैरसैंण में हो।

रिपोर्ट -सोनू उनियाल


देहरादून। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को बार बार अनदेखा कर तथा उन आंदोलनकारियों का आपमान किया जा रहा। आखिर क्यों गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए जाने के पक्ष में नहीं है। कोई राजनैतिक दल करोड़ों रुपए खर्च कर गैरसैंण के भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन बनाया गया है। आखिर दोनों ही दलों के विधायक क्यों नहीं चाहते कि बजट गैरसैंण में हो।

 

वही बजट सत्र को देहरादून में आयोजित होने की कड़ी निंदा प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने की है । उन्होंने विपक्ष के विधायकों समेत कांग्रेस विधायकों पर राज्य आंदोलनकारियों का अपमान करने का आरोप लगाया है। वहीं सभी दलों के नेताओं द्वारा गैरसैण में बजट सत्र ने कराए जाने के अलग अलग बयान दिए जा रहे है। लेकिन कैबिनेट बैठक में विधानसभा सत्र देहरादून में होने का फैसला ले लिया गया। है जिससे गैरसैण को गैर कर दिया है।

उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसेंण में बजट सत्र ना कराए जाने को लेकर प्रदेश के सियासत गरमाई हुई है। उत्तराखंड विधानसभा के अधिकांश विधायक ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण विधानमंडल भवन में बजट सत्र आहूत करने के पक्ष में नहीं दिखे। जिससे भराड़ीसैंण की कंपकंपा देने वाली ठंड ने लगभग 40 विधायकों के वहां जाने के इरादों को ठंडा कर दिया। विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इस बार का बजट सत्र देहरादून में कराया जाए। जबकि विधानसभा ने ही यह संकल्प पारित किया हुआ है। बजट सत्र भराड़ीसैंण स्थित विधानमंडल भवन में ही होगा। भराड़ीसैंण में विधानसभा सत्र का आयोजन होते कई वर्ष हो चुके हैं। लेकिन सरकारें वहां कभी व्यवस्थाएं नहीं बना पाईं। इन्हीं बदइंतजामी के बहाने अब विधायकों से लेकर अफसर तक वहां जाने से परहेज कर रहे हैं। सभी का एक ही तर्क यही है कि सर्द भराड़ीसैंण में फरवरी में सत्र होगा तो ठंड का प्रकोप और भीषण हो जाएगा, जिससे दिक्कतें आएंगी। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महारा का कहना है कि गैरसैण में बजट सत्र आयोजित ना कर सरकार ने जन भावनाओं के खिलाफ कदम उठाया है और जिस भी विधायक ने इसके लिए सरकार को पत्र लिखा है उन्होंने राज्य आंदोलन शहीदों का अपमान किया है।

वही दोनों ही पार्टी ने सरकार पर इसका अंतिम फैसला छोड़ दिया है । विधायकों के पत्र देने के बाद भी भाजपा दल के नेता अपने विधायकों का पल्ला झाड़ते हुए नज़र आ रहे है । उधर करन माहरा के बयान से कांग्रेस नेता सेहमत नज़र आ रहे है । वही विधायकों के अलग अलग हो देखने को मिल रहे है।

गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का फैसला भाजपा सरकार का था। ऐसे में करन माहरा द्वारा इस बयान के राजनेतिक मायने निकाले जा रहे है । अपने ही विधायकों को फटकार कई विरोध में ना बदल जाए जिसका हरजाना लोकसभा में ना देखने को मिले ।