धरती पर इंसान को सबसे बुद्धिमान माना जाता है। यानी इंसानी बुद्धि किसी भी टास्क को परफोर्म कर सकती है। वहीं जब मशीन किसी इंसानी काम को इंसानो की तरह सोच-समझ कर करने लगे तो वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहलाती है।
आज दुनिया तकनीक के माध्यम से तेज़ी से बदल रही है। विकास को गति देने और लोगों को बेहतर सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये प्रत्येक क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। हालांकि बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और भूमंडलीकरण ने जहाँ विकास की गति को तेज़ किया है, वहीं इसने कई नई समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनका समाधान करने के लिये नित नए समाधान सामने आते रहते हैं। अब आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को ही ले लीजिए। तो आईये पहले जानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि) या Ai है क्या? ..
Ai (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) क्या है?
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता।
- इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित किया गया इंटेलिजेंस है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है।
- यह इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता।
सरल शब्दों में कहें तो इस विषय पर स्टार वार, मैट्रिक्स, आई रोबोट, टर्मिनेटर, ब्लेड रनर जैसी हॉलीवुड फ़िल्में बन चुकी हैं, जिनसे आपको यह पता चल सकता है कि आखिर यह है क्या बला। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला सिस्टम 1997 में शतरंज के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शुमार गैरी कास्पोरोव को हरा चुका है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विगत कई दशकों से चर्चा के केंद्र में रहा एक ज्वलंत विषय है। वैज्ञानिक इसके अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर समय-समय पर विचार-विमर्श करते रहते हैं।
क्या होगा फायदा और नुकसान?
जहाँ वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनेकानेक लाभ गिनाते हैं, वहीं वे यह भी मानते हैं कि इसके आने से सबसे बड़ा नुकसान मनुष्यों को ही होगा, क्योंकि उनका काम मशीनों से लिया जाएगा, जो स्वयं ही निर्णय लेने लगेंगी और उन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो वे मानव सभ्यता के लिये हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे में इनके इस्तेमाल से पहले लाभ और हानि दोनों को संतुलित करने के आवश्यकता होगी।