उत्तराखंड में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मंगलौर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने और बदरीनाथ सीट पर लखपत सिंह बुटोला जीत दर्ज की है। वहीं भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। दोनों सीटें पार्टी के हाथ से निकल गई है।
Uttarakhand Assembly By-Election 2024 Result: उत्तराखंड उपचुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। बदरीनाथ और मंगलौर दोनों ही सीटें पार्टी के हाथ से निकल गई और अब कांग्रेस के पास आ गई है। बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला और मंगलौर सीट पर काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने जीत दर्ज की है।
भाजपा को करारी शिकस्त
बदरीनाथ और मंगलौर का चुनावी समर भाजपा के विजय रथ की कड़ी परीक्षा था, जिसमें भाजपा सफल नहीं हो पाई। मंगलौर सीट पर भाजपा ने करतार सिंह भड़ाना को मैदान में उतारा था, लेकिन भड़ाना कांग्रेस प्रत्याशी काजी मोहम्मद निजामुद्दीन से मात खा गए। वहीं बदरीनाथ में भाजपा ने राजेंद्र भंडारी पर भरोसा जताया था, लेकिन कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला से भंडारी मात खा गए।
पिछले दस साल में कांग्रेस की यह पहली जीत
बता दें कि भाजपा पिछले दस साल से सत्ता में है। और इस दौरान जितने भी उपचुनाव हुए भाजपा ने जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस ने पिछले दस साल में यह पहली जीत दर्ज की है। वहीं चंपावत और बागेश्वर उपचुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में जीत से भाजपा के हौसले बुलंद थे,लेकिन उपचुनाव के नतीजों में बड़ा उलटफेर हो गया।
कांग्रेस की जीत की वजह
बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनों पर विश्वास जताया था। पार्टी ने दोनों सीटों पर उन चेहरों को मैदान में उतारा, जो कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने जिन चेहरों पर दांव लगाया, वो दोनों ही उसकी सांगठनिक नर्सरी से नहीं थे।
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गौरतलब है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बदरीनाथ विस सीट पर कांग्रेस के हाथों शिकस्त मिली थी, लेकिन कांग्रेस की जीत की पटकथा लिखने वाले राजेंद्र भंडारी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शमिल हो गए थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गढ़वाल संसदीय सीट पर बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को 8254 वोटों से पीछे छोड़ा था, लेकिन भंडारी के भाजपा में आने के बाद पार्टी इससे भी बड़ी लीड की उम्मीद कर रही थी।
लोस चुनाव में मिली हार का हिसाब बराबर
वहीं उपचुनाव में कांग्रेस ने लोस चुनाव में मिली हार का हिसाब बराबर कर दिया। मंगलौर विस सीट भाजपा ने कभी नहीं जीती। मुस्लिम और अनुसूचित जाति बहुल इस सीट पर बसपा और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है।