उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने डिजिटल हाउस अरेस्ट गिरोह स्कैम में 3 करोड़ रुपए का भंडाफोड़ करते हुए एक साइबर ठग को बहराइच उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार ठग ने अपने गिरोह के साथ देहरादून के व्यक्ति को 48 घंंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर रखा था।
एसटीएफ के एसएसपी नवनीत भुल्लर ने बताया कि राजपुर निवासी वरिष्ठ नागरिक अनिल कुमार ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि उन्हें 20 मई 2024 को उनके मोबाइल नंबर पर फेडेक्स कूरियर (FedEx Courier) से एक कॉल आई कि आपका पार्सल मुंबई एयरपोर्ट पर नारकोटिक्स वालों ने पकड़ लिया है। पार्सल में कुछ आपत्तिजनक सामग्री जैसे 5 से 6 पासपोर्ट, ड्रग्स आदि सामान है। कॉल करने वाले ने पीड़ित को उसका आधार नंबर, मोबाइल नंबर और उसकी कुछ व्यक्तिगत जानकारी बताई। इससे पीड़ित को थोड़ा यकीन हो गया।
पीड़ित ने कहा कि उसके द्वारा कोई पार्सल न तो भेजा गया है और न ही आने वाला है। इसके बाद कॉल करने वाले ने बताया कि पार्सल आपके नाम से ही। अब इसके संबंध में जो भी कार्रवाई होगी वह आप पर ही होगी। इन सबसे बचना बहुत मुश्किल है। इस कॉल को मुंबई पुलिस को फॉरवर्ड की जा रही है। इसके बाद कॉल पर दूसरे व्यक्ति (ठग), जिसने खुद को ग्रेटर मुंबई पुलिस का बड़ा अफसर बताया और कहा कि आपके खिलाफ ड्रग ट्रैफिकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हो गया है। अब आपके खिलाफ जांच होगी और आपको मुंबई आना होगा और शायद आपको जेल भी जाना पड़े।
48 घंंटे तक रखा डिजिटल अरेस्ट
पीड़ित ने बताया कि ठग की बात सुनकर वह काफी डर गया और उसकी सोचने समझने की शक्ति खत्म हो गई। ठग ने कहा कि आपको इन सबसे बचाने का प्रयास किया जा सकता है और अपने बड़े अफसरों से आपके संबंध में बात की जाएगी। ठग ने पीड़ित को कहा कि हम व्हाट्सएप के माध्यम से वीडियो कॉल और वॉइस कॉल करेंगे। अब आप हमारे अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति से ना तो बात करेंगे और ना ही हमारी मर्जी के बिना घर से बाहर जाएंगे। ठग ने 20 मई से अगले दिन 21 मई दिन तक लगातार उससे व्हाट्सएप वीडियो और वॉइस कॉल के माध्यम से जोड़े रखा और तरह-तरह की बातें बता कर डराता रहा।
पीड़ित से ठगे तीन करोड़ रुपए
पीड़ित को गिरफ्तारी का डर दिखाकर उनसे विभिन्न तिथियों को तीन करोड़ रुपए ठग लिए। पीड़ित ने 21 मई को आरोपी के बताए गए बैंक अकाउंट में दो करोड़ रुपए आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर दिए। उसके बाद 22 मई को ठग के कहे मुताबिक अपने दो अन्य बैंक अकाउंट से 76 लाख 12 हजार 678 रुपए और 24 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। इस तरह कुल मिलाकर पीड़ित ने 3 करोड़ 12 हजार 678 रुपए ठग के बैंक अकाउंट नंबर पर ट्रांसफर कर दिए। लेकिन कुछ दिन बाद पीड़ित को अहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है। पीड़ित घटना से इतना डर गया था कि उनसे काफी दिनों तक मामले की शिकायत पुलिस से नहीं की. कुछ दिन बीतने के बाद आरोपी ने 12 अगस्त को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराई। इस मामले में इंस्पेक्टर साइबर क्राइम त्रिभुवन रौतेला, दारोगा कुलदीप टम्टा व राहुल कापड़ी की देखरेख में एक टीम गठित की गई।
आरोपी को बहराइच से किया गिरफ्तार
एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि शिकायत पर एक्शन लेते हुए टीम ने घटना में शामिल मुख्य आरोपी को चिन्हित किया और तलाश जारी करते हुए कई स्थानों पर दबिश दी। साइबर ठग के मोबाइल नंबर व खातों की जांच करने के बाद पुलिस टीम ने शनिवार को साइबर ठग मनोज निवासी बसौना केसरगंज, थाना रानीपुर जिला बहराइच, उत्तर प्रदेश वर्तमान निवासी सिलौटा रोड कोतवाली देहात बहराइच उत्तर प्रदेश को सिसई हैदर सिलौटा रोड बहराइच उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया।
जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार आरोपी द्वारा धोखाधड़ी में प्रयोग किए जा रहे बैंक खाते के खिलाफ देश भर के अलग-अलग राज्यों में अब तक 76 शिकायतें दर्ज हैं। बैंक खाते में 6 करोड़ से अधिक धनराशि का संदिग्ध लेन देन पाया गया है।
अपराध का तरीका:
डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं। साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सी0बी0आई0 ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, IT या ED ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम/ आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला आदि का पैसा जमा होने अथवा आपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आर0बी0आई0 से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।
कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए। इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।