नई दिल्ली। ज्ञानेश कुमार (Gyanesh Kumar) को भारत का 26वां मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। तीन सदस्यीय चयन समिति में शामिल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस फैसले से असहमति जाहिर की।
राहुल गांधी की नाराजगी क्यों?
राहुल गांधी का मानना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक नई नियुक्ति को टाल देना चाहिए था। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में कानून में बदलाव कर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाले पैनल से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को हटा दिया था। पुराने कानून के तहत CJI इस पैनल का हिस्सा होते थे, लेकिन नए कानून में यह प्रावधान हटा दिया गया है। विपक्ष इस बदलाव का विरोध कर रहा है और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट में 19 फरवरी को सुनवाई
- मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से संबंधित याचिका पर 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
- कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किए बिना जल्दबाजी में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर दी।
कांग्रेस का क्या कहना है?
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सरकार की इस जल्दबाजी पर नाराजगी जताई और कहा कि यह संविधान और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। उन्होंने कहा, “आधी रात को सरकार ने जल्दबाजी में नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। यह हमारे संविधान की भावना के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार दोहराया है कि चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त निष्पक्ष होना चाहिए।”
कौन हैं ज्ञानेश कुमार?
- ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।
- वह केंद्रीय गृह मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत थे।
- उन्होंने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने वाले विधेयक को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- उन्होंने आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बी-टेक और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट्स ऑफ इंडिया से बिजनेस फाइनेंस की पढ़ाई की है।
- उनके पास गृह मंत्रालय में लगभग पांच वर्षों का कार्य अनुभव है।
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संवैधानिक प्रक्रिया के तहत की गई है और इसमें कोई अनियमितता नहीं हुई है। सरकार के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामला नियुक्ति प्रक्रिया को नहीं रोकता।
ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट में 19 फरवरी को होने वाली सुनवाई के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी। विपक्ष का मानना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं किया और जल्दबाजी में नियुक्ति कर दी, जिससे निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठ सकते हैं।