जोशीमठ औली रोपवे संचालन ठप, शीतकालीन पर्यटन कारोबार पर पड़ा असर

1994 के दशक में शुरु हुई इस रोप वे परियोजना पर जोशीमठ नगर में भू धंसाव के चलते इस साल 5 जनवरी से ब्रेक लगा हुआ है। जिसके कारण क्षेत्र के पर्यटन कारोबारियो के चेहरे मुरझाए हुए है। 


रिपोर्ट -सोनू उनियाल

चमोली। तीस वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद इस विंटर सीजन मे हिम क्रीड़ा स्थली और सूबे की एकमात्र विंटर स्पोर्ट्स डेस्टिनेशन के रूप में पहचान बना चुकी औली पहुंचने के लिए पर्यटक देश के सबसे लम्बे “रोप वे”की सवारी से वंचित रहेंगें। दरअसल जोशीमठ भू धंसाव के दौरान बन्द हुई जोशीमठ-औली “रोप वे” के अभी शुरू होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। जोशीमठ व औली का शीतकालीन पर्यटन व्यवसाय ही “रोप वे” के संचालन पर निर्भर है। लेकिन तीस वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद पहली बार इस विंटर सीजन मे देश-विदेश के पर्यटक “रोप वे” की रोमांचक सवारी से वंचित रहेंगें।

पर्यटन सीजन के लिए एडवांस बुकिंग का अंतिम चरण

इन दिनों विश्व विख्यात हिमक्रीड़ा केन्द्र औली के पर्यटन सीजन के लिए एडवांस बुकिंग का अंतिम चरण है। लेकिन अधिकांश पर्यटक जोशीमठ-औली “रोप वे” के संचालन की जानकारी लेने के बाद एडवांस बुकिंग नहीं कर रहे हैं। जिन पर्यटकों ने बिना जानकारी के एडवांस बुकिंग करा भी ली है। यदि उन्हें भी रोप वे का संचालन ठप्प होने की जानकारी के बाद वे भी बुकिंग केंसिल ना करा दें इसे लेकर भी पर्यटन कारोबारी चिंतित हैं।

भू धंसाव के चलते लगा ब्रेक 

दरसअल बर्फबारी के दौरान जोशीमठ से औली पहुंचने का न केवल एकमात्र बेहतर साधन “रोप वे” ही है बल्कि अधिकांश पर्यटक सवा चार किमी लंबे व 6 हजार फीट से दस हजार 200 फीट की ऊंचाई तक पहुंचाने वाले देश के सबसे लंबे रोप वे की रोमांचक सवारी के लिए भी आतुर दिखते हैं। बता दें की वर्ष 1994 के दशक में शुरु हुई इस रोप वे परियोजना पर जोशीमठ नगर में भू धंसाव के चलते इस वर्ष 5 जनवरी से ब्रेक लगा हुआ है। जिसके कारण क्षेत्र के पर्यटन कारोबारियो के चेहरे मुरझाए हुए है।

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पर्यटन कारोबारियों के चेहरों पर मायूसी

विगत वर्षों मे जहाँ मौसम के करवट बदलते ही पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे खिल उठते थे। वहीं इस बार मौसम के बदलने के बाद भी जोशीमठ-औली के पर्यटन कारोबारियों के चेहरों पर मायूसी दिख रही है। जीएमवीएन पर्यटक आवास गृह के प्रबंधक प्रदीप मंद्रवाल के अनुसार शीतकालीन पर्यटकों की एडवांस बुकिंग तो आ रही है। लेकिन जब वे होटल से रोप वे स्टेशन की दूरी पूछ रहे हैं। और उन्हें रोप वे संचालन बन्द होने की जानकारी मिल रही है तो एडवांस बुकिंग नहीं कर रहे हैं।

पर्यटन व्यवसाय पर असर

जोशीमठ-औली रोप वे का महत्व केवल शीतकाल मे नहीं अपितु श्री बद्रीनाथ एवं हेमकुंड साहिब-लोकपाल यात्रा के दौरान भी रोप वे का बेहतर संचालन होता रहा है, जो इस यात्राकाल मे नहीं हुआ,इससे जीएमवीएन को करोड़ों रुपए का नुकसान तो हुआ ही, साथ साथ जोशीमठ तथा औली के पर्यटन ब्यवसाय पर भी इसका असर देखा गया।

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वहीं जीएमवीएन के रोप वे परियोजना से जुड़े अधिकारियों की माने तो अभी जोशीमठ-औली रज्जू मार्ग के पुनः संचालन को लेकर जीएमवीएन के परियोजना प्रबंधन स्तर पर कोई ठोस कार्यवाही गतिमान नहीं हैं। रोप वे के पुनः संचालन अथवा किसी अन्य विकल्प पर शासन का आपदा प्रबंधन विभाग ही जानकारी दे सकता है। फिलहाल क्षेत्र के पर्यटन कारोबारियों के लिए कामधेनु साबित हुई जोशीमठ औली रोप वे संचालन ठप पड़ने से शीतकालीन पर्यटान पर असर पड़ना लाजमी है।

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