महाकुम्भ 2025: आधुनिक नागा साधु डॉक्टर, इंजीनियर, और प्रोफेसर भी

“महाकुम्भ 2025: आधुनिक नागा साधुओं का अद्वितीय संगम – शिक्षा, करियर, और भक्ति”

महाकुम्भ, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला, लाखों श्रद्धालुओं और साधुओं को आकर्षित करता है। महाकुम्भ 2025 में, निरंजनी अखाड़े के नागा साधुओं को जब हम इन साधुओं को देखते हैं, तो हमें यह आभास हो सकता है कि यह लोग किसी मजबूरी में नागा बने होंगे। लेकिन सच्चाई इससे बहुत परे है। निरंजनी अखाड़े के नागा साधु आम लोग नहीं हैं; यह वह लोग हैं जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी की शानदार करियर और शिक्षा को छोड़कर सनातन धर्म की ओर कदम बढ़ाया। इनमें से कई डॉक्टर, इंजीनियर और शिक्षाविद हैं, जिन्होंने धर्म और साधना को अपनी जीवनशैली बना लिया है। जैसे कि राम रतन गिरि, जो कि एक सिविल इंजीनियर हैं और वर्तमान में अखाड़े के सचिव हैं। वह हरिद्वार और मध्य प्रदेश में धर्म की दीक्षा देते हैं और कई कॉलेजों में इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाने के लिए लेक्चर भी लेते हैं।

करीब 20 वर्ष पहले, राम रतन गिरि ने सनातन से लगाव महसूस किया और उन्होंने संत बनने का निर्णय लिया। अखाड़े में संत बनने के बाद, उन्हें नागा साधु बनने की प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ा और वे नागा संत बन गए। गुजरात और हरिद्वार में धर्म प्रचार करने वाले संत भी नागा साधु हैं, जैसे कि स्वामी वेदानंद पुरी और स्वामी आदित्यानंद गिरि, जो कि डॉक्टर हैं और मेडिकल कॉलेजों में लेक्चर भी देते हैं। इसके अलावा, निरंजनी पीठाधीश्वर कैलाशानंद गिरि, जो कि पढ़े-लिखे संतों में से एक हैं, महाकुम्भ के पहले देश और दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं। ये साधु आधुनिक शिक्षा और अध्यात्म का अद्वितीय संगम हैं। जीवन का सच्चा अर्थ भौतिक सफलता में नहीं, बल्कि आत्मिक संतोष में है। सनातन धर्म की गहरी समझ और धार्मिक प्रतिबद्धता ने इन साधुओं को एक नई दिशा और अर्थ दिया है।

महाकुम्भ 2025 में, जब हम इन नागा साधुओं को देखते हैं, हमें यह समझना चाहिए कि उन्होंने अपनी स्वयं की इच्छा से यह मार्ग चुना है, और वह अपने जीवन को धुनी रमाते हुए धर्म और समाज की सेवा में व्यतीत कर रहे हैं