Rishikesh-Karnprayag RailLine: पहाड़ पर रेल का सपना जल्द होगा साकार, सिलक्यारा के बाद जनासू में देश की सबसे लंबी सुरंग हुई आर-पार

Rishikesh-Karnprayag RailLine: उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत बन रही यह सुरंग भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग है। इसकी कुल लंबाई 14.57 किलोमीटर है। फिलहाल भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग की लंबाई 12.77 किलोमीटर है, जो कि जम्मू-कश्मीर में सुम्बर और खारी के बीच है।


Rishikesh Karnprayag Rail Project : उत्तराखंड के लिए आज यानि 16 अप्रैल का दिन बेहद ही खास रहा है। आज प्रदेश में दो टनल सिलक्यारा और जनासू का ब्रेकथ्रू हुआ है। धामी सरकार के लिए इन दोनों टनल के ब्रेकथ्रू को बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।

देश की सबसे लंबी रेल सुरंग हुई आर-पार

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के तहत पौड़ी के देवप्रयाग और जनासू के बीच देश की सबसे लंबी रेल सुरंग टी-8 और टी-8एम आरपार हो गई है। इस मौके पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी मौजूद रहे।

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उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत बन रही यह सुरंग भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग है। इसकी कुल लंबाई 14.57 किलोमीटर है। फिलहाल भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग की लंबाई 12.77 किलोमीटर है, जो कि जम्मू-कश्मीर में सुम्बर और खारी के बीच है। बता दें कि सुरंग के निर्माण में अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का उपयोग किया गया है। जबकि परियोजना की अन्य सुरंगों का निर्माण पारंपरिक ड्रिल एंड ब्लास्ट तकनीक से किया जा रहा है।

 दुनिया में ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट की चर्चा

वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मौके पर पहुंच निर्माण कार्य की प्रगति देखी और टीम का उत्साहवर्धन किया। रेल मंत्री ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल अद्भुत प्रोजेक्ट है। इसकी चर्चा पूरी दुनिया में है। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल परियोजना में किया जा रहा है। इससे पहले उन्होंने परियोजना के तहत बने योगनगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन परिसर का निरीक्षण भी किया।

पहाड़ पर रेल का स्वप्न जल्द होगा साकार

वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चुनौतीपूर्ण परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों को बधाई व शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह परियोजना प्रधानमंत्री के ‘नए व सशक्त भारत’ के विजन और उत्तराखण्ड को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के संकल्प को साकार करती है। निश्चित तौर पर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना राज्य की कनेक्टिविटी, पर्यटन, आर्थिकी और रोजगार के लिए नई संभावनाएं खोलेगी। उन्होंने कहा कि हर सुरंग, हर पुल और हर स्टेशन राज्य के विकास का प्रवेश द्वार है। यह मात्र एक इंजीनियरिंग उपलब्धि नहीं बल्कि उत्तराखण्ड के भविष्य को नई दिशा देने वाला परिवर्तनकारी कदम है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की कुल लंबाई 125km

ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किलोमीटर लंबी इस ब्रॉडगेज रेल लाइन पर कुल 17 सुरंगें बनाई जा रही हैं, जिनमें से लगभग 104 किलोमीटर का रेल मार्ग सुरंगों के अंदर से गुजरेगा। इनमें से केवल तीन सुरंगें ही ऐसी हैं, जिनकी लंबाई 3 किलोमीटर से कम है। शेष 12 सुरंगों की लंबाई 3 किलोमीटर से अधिक है। सुरंग सुरक्षा नियमों के अनुसार, तीन किलोमीटर से अधिक लंबाई वाली प्रत्येक सुरंग के समानांतर एक निकास सुरंग भी बनाई जा रही है। मुख्य सुरंग और निकास सुरंग को 375 मीटर की दूरी पर क्रॉस पैसेज के माध्यम से जोड़ा गया है, ताकि आपात स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा सके।

देवप्रयाग से जनासू के बीच 14.57 किमी लंबी डबल ट्यूब सुरंगें

देवप्रयाग से जनासू के बीच बन रही ये दोनों (डबल ट्यूब) सुरंगें कुल 14.57 किलोमीटर लंबी हैं। इस क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना अद्वितीय होने के कारण इन सुरंगों की खुदाई के लिए जर्मनी से विशेष टीबीएम मशीनें मंगाई गई थीं। इन सुरंगों के निर्माण के लिए जनासू से लगभग 1.525 किलोमीटर की दूरी पर एक वर्टिकल शाफ्ट (कुआंनुमा सुरंग) भी बनाया गया है, जिसके माध्यम से खुदाई का कार्य किया गया था।

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वहीं इससे पहले उत्तरकाशी जिले में स्थित सिलक्यारा टनल का ब्रेकथ्रू हुआ। इस मौके पर टनल के निकट नवनिर्मित बाबा बौखनाग मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कार्यक्रम में शिरकत की।