दक्षिण भारत की ‘वो’ चट्टान…जहां ध्यान लगाएंगे PM मोदी, जानें क्यों प्रसिद्ध है यह तीर्थ स्थान

Vivekananda Rock Memorial: जिस स्थान पर प्रधानमंत्री ध्यान लगाएंगे उसका विवेकानंद के जीवन पर बड़ा प्रभाव था। स्वामी विवेकानंद ने भी यहां तीन दिन तक ध्यान लगाया और एक विकसित भारत का सपना देखा था।


Vivekananda Rock Memorial: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार और अपनी बाकी राजनीतिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद 30 मई को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जाएंगे और विवेकानंद रॉक मेमोरियल में बने ध्यान मंडपम में एक जून तक ध्यान लगाएंगे। स्वामी विवेकानंद ने भी तीन दिनों तक यहीं तप किया था। इसके कारण यहां स्मारक बनाया गया है। तो आइए जान लेते हैं कि क्या है इस मेमोरियल का स्वामी विवेकानंद से कनेक्शन, इसका निर्माण कब और कैसे हुआ…

 भारत के दक्षिण में आखिरी छोर

तमिलनाडु के कन्याकुमारी में बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर का मिलन होता है। यहां पर ही विवेकानंद रॉक मेमोरियल स्थित है। विवेकानंद रॉक मेमोरियल को भारत का सबसे आखिरी दक्षिणी छोर माना जाता है। इस मेमोरियल में बने ध्यान मंडपम में छह कमरे हैं। इसका आध्यात्मिक वातावरण शांतिपूर्ण ध्यान के लिए आदर्श है। यही नहीं इस जगह पर सूर्योदय और सूर्यास्त का भी अद्भुत नजारा देखने को मिलता है जो दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

स्वामी विवेकानंद ने यहीं लगाया था ध्यान 

बता दें कि ध्यान मंडपम वही जगह है, जहां करीब 130 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था। कहा जाता है कि अमेरिका में 1893 में धर्म सम्मेलन में जाने से पहले विवेकानंद को यहीं ज्ञान मिला था। विवेकानंद ने यहां ध्यान लगाकर ही एक विकसित भारत का सपना देखा था। उन्हें यहां पता चला कि जीवन का मूल्य क्या है। विश्व कल्याण का सामर्थ्य सिर्फ भारत के पास है।

माता पार्वती ने भोलेनाथ के इंतजार में यहीं किया था तप

इस शिला का एक पौराणिक महत्व भी बताया जाता है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने यहीं एक पैर पर भगवान भोलेनाथ का इंतजार किया था। समुद्र में स्थित इसी चट्टान पर देवी कन्या कुमारी ने भगवान शंकर की आराधना करते हुए तप किया था। इस दौरान उनके पैरों के निशान यहां बन गए थे, जो निशान यहां पाए गए थे, इसलिए इस जगह का अपना धार्मिक महत्व भी है।

1970 में हुआ था मेमोरियल का उद्घाटन

स्वामी विवेकानंद के प्रबल अनुयायी एकनाथ रामकृष्ण रानाडे स्मारक की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाने वाले व्यक्ति थे। यह स्मारक लगभग छह साल में बनकर पूरा हुआ था। इसे बनाने के लिए लगभग 650 मजदूरों ने काम किया। 1970 में मेमोरियल का उद्घाटन किया गया था।

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स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को फैलाने के लिए एकनाथ रामकृष्ण रानाडे ने 7 जनवरी, 1972 को ‘विवेकानन्द केन्द्र’ नामक एक संगठन की भी स्थापना की। विवेकानन्द केन्द्र की स्थापना विवेकानन्द स्मारक के बगल में की गई थी। आज यहां देशभर से लोग घूमने के लिए पहुंचते हैं।

कैसे पहुंचते हैं?

विवेकानन्द रॉक मेमोरियल सबसे लोकप्रिय स्मारक है जो भारत के तमिलनाडु राज्य में कन्याकुमारी जिले के सबसे दक्षिणी सिरे पर और मुख्य भूमि से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। ये चट्टाने लक्षद्वीप सागर से घिरी हुई हैं। यहां पहुंचने के लिए छोटी नाव की सवारी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है। ये स्थान भारत में आध्यात्मिक विरासत का एक प्रतीक माना जाता है।

ये रहेगा पीएम का कार्यक्रम

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पीएम मोदी पंजाब के होशियारपुर में चुनाव प्रचार खत्म करने के बाद गुरुवार को तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पहुंचेंगे। शाम को वह कन्याकुमारी के गेस्ट हाउस पहुंचेंगे। इसके बाद वह नाव से विवेकानंद रॉक मेमोरियल के लिए प्रस्थान करेंगे। शनिवार दोपहर तक वह वहीं रहेंगे। ध्यान मंडपम में ध्यान लगाने के बाद पीएम मोदी शनिवार शाम को कन्याकुमारी हेलीपैड पहुंचेंगे। यहां से वह तिरुवनंतपुरम लौटेंगे और फिर उसी दिन दिल्ली लौट जाएंगे।

बता दें कि साल 2019 के चुनाव के अंतिम चरण से पहले पीएम मोदी ने केदारनाथ और 2014 में शिवाजी के प्रतापगढ़ का दौरा किया था।