मनमोहन सिंह की तीनों बेटियों की कहानी: राजनीति से अलग अपना मुकाम बनाया

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में एम्स में 26 दिसंबर की रात निधन हो गया. उनके परिवार में उनकी पत्नी गुरुशरण कौर और तीन बेटियां हैं. तीनों बेटियों ने अपने अपने क्षेत्रों में खास जगह बनाई .उपिंदर सिंह, अमृत सिंह, और दमन सिंह—राजनीति से अलग अपना रास्ता चुनते हुए विभिन्न क्षेत्रों में  बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं।

  1. उपिंदर सिंह: इतिहास की जानी-मानी प्रोफेसर

सबसे बड़ी बेटी, उपिंदर सिंह, प्राचीन भारतीय इतिहास की विशेषज्ञ हैं। वह अशोक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रही हैं और प्राचीन भारतीय इतिहास पर कई प्रतिष्ठित किताबें लिख चुकी हैं। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज और मॉन्ट्रियल से अपनी शिक्षा पूरी की। उनकी उपलब्धियों में इन्फोसिस पुरस्कार और कैंब्रिज व हार्वर्ड विश्वविद्यालयों में फेलोशिप शामिल हैं। उनकी किताब ए हिस्ट्री ऑफ़ एंशिएंट एंड अर्ली मेडिवल इंडिया” को ऐतिहासिक शोध के क्षेत्र में बेहद सराहा गया है।

  1. अमृत सिंह: मानवाधिकारों की पैरोकार

दूसरी बेटी, अमृत सिंह, एक विख्यात मानवाधिकार वकील और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में लॉ प्रोफेसर हैं। उन्होंने दुनियाभर में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए काम किया है। अमृत ने कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड से दर्शनशास्त्र में पढ़ाई की और येल लॉ स्कूल से कानून की डिग्री प्राप्त की। मानवाधिकार के क्षेत्र में उनके योगदान ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई है।

  1. दमन सिंह: लेखन की दुनिया में एक बड़ा नाम

तीसरी बेटी, दमन सिंह, पेशेवर लेखिका हैं। उन्होंने अपने माता-पिता की जीवनी, स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण”, लिखी है, जिसमें डॉ. मनमोहन सिंह के व्यक्तिगत जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर किया गया है। दमन ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से गणित में स्नातक किया और उनकी शादी आईपीएस अधिकारी अशोक पटनायक से हुई है।

राजनीति से दूरी, पर उच्च मुकाम

डॉ. मनमोहन सिंह की तीनों बेटियां राजनीति से दूर रहकर अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता की मिसाल बन चुकी हैं। उनकी उपलब्धियां दर्शाती हैं कि व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में किस प्रकार संतुलन बनाकर समाज में योगदान दिया जा सकता है।