टनल में फंसी 40 जिंदगियों को बचाने की जद्दोजहद छठे दिन भी जारी

उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के ढहने से मलबे में फंसी 40 जिंदगियां अब भी राहत की सांस का इंतजार कर रही हैं। मजदूरों को बचाने का रेस्क्यू ऑपरेशन आज छठवें दिन भी जारी है।


Uttarkashi Tunnel Collapse Updates: सिलक्यारा सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए जारी रेस्क्यू अभियान का आज छठवां दिन है। अमेरिकी जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। अभी तक 25 मीटर ड्रिलिंग हो पाई है। हालांकि सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है। ऑगर मशीन को गुरुवार को इंस्टाल किया गया था, जिसके बाद ड्रिलिंग मशीन ने गुरुवार रात तक 12 मीटर मलबा हटा दिया था। वहीं टनल में फंसे मजदूरों के लिए ऑक्‍सीजन,खाद्य सामग्री, दवाइयों की आपूर्ति लगातार जारी है।

बैकअप के लिए इंदौर से मंगवाई जा रही एक और मशीन

बैकअप के लिए एक और मशीन इंदौर से मंगवाई जा रही है। वर्तमान में काम कर रही मशीन में किसी भी तरह की खराबी आने पर बेकअप मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा।

ऑपरेशन सिलक्यारा पर है पीएमओ की निगाह

वहीं सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए चल रहे ऑपरेशन पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) लगातार नजर बनाए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभियान की प्रगति का लगातार अपडेट ले रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य सचिवालय में मीडियाकर्मियों से बातचीत में यह बात कही। सुरंग निर्माण में बरती गई लापरवाही से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा कि हमारी अभी सबसे पहली प्राथमिकता 40 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की है।

कब पूरा होगा ऑपरेशन? एसपी ने बताया

उत्तरकाशी के एसपी अर्पण यदुवंशी ने कहा कि अमेरिकन ऑगुर मशीन एक बेहद उन्नत मशीन है। इसका काम जोरों पर चल रहा है। लेटेस्ट अपडेट के अनुसार, चार पाइप डाले जा चुके हैं और पांचवें की वेल्डिंग चल रही है। हम कह सकते हैं कि बरमा मशीन अच्छी तरह से चल रही है। यदि मलबे से कोई बाधा नहीं आती है, तो हम सुरंग बनाने और उन्हें जल्द से जल्द बचाने में सक्षम होंगे। हम आपको कोई समय सीमा नहीं दे सकते कि ऑपरेशन कब पूरा होगा, लेकिन तकनीकी कर्मचारी चौबीसों घंटे कड़ी मेहनत कर रहे हैं और यह जल्द से जल्द पूरा होगा। उन सभी को बचा लिया जाएगा।

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टनल के बाहर तैनात हैं 10 एंबुलेंस

रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच टनल के बाहर 6 बिस्तरों वाला एक अस्थायी हॉस्पिटल भी तैयार किया गया है। टनल से मजदूरों के निकलने के बाद उन्हें तुरंत मेडिकल सुविधाएं मिल सकें इसलिए टनल के बाहर 10 एंबुलेंस भी तैनात की गई हैं। दरअसल, डॉक्टरों ने सलाह दी है कि टनल से निकलने के बाद श्रमिकों को मानसिक-शारीरिक मार्गदर्शन की जरूरत होगी।

टनल एसोसिएशन के चीफ करेंगे मदद

इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर दुनिया के कई देशों की भी नजर है। अब इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने भी इस ऑपरेशन में मदद करने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि वह बचाव कार्य पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर बचाव कार्य प्रभावी नहीं रहता है तो वह अपने सभी सदस्य देशों तरफ से मदद करने के लिए भारत में तैनात रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि भारत दुनिया के अग्रणी सुरंग निर्माता देशों में से एक है। यह बेहद गंभीर मामला है। 40 जिंदगियां बड़े खतरे में हैं।