Ajmer 1992 gang scandal case verdict: करीब 32 साल पहले 1992 में हुए देश के बहुचर्चित अजमेर ब्लैकमेल कांड मामले से राजस्थान के साथ देश भी कांप उठा था और तत्कालीन सरकार हिल गई थी। कोर्ट ने इस मामले के बचे हुए छह आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
Ajmer sex scandal case verdict: तीन दशक पहले हुए अजमेर गैंगरेप मामले में स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 5-5 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में आरोपियों नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, सोहिल गनी, सैयद जमीर हुसैन और इकबाल भाटी को दोषी करार दिया था।
6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा
देश के बहुचर्चित अजमेर ब्लैकमेल कांड मामले में 18 आरोपी थे। इसमें 9 आरोपियों को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है। एक आरोपी दूसरे मामले में जेल में बंद है। जबकि एक सुसाइड कर चुका है और एक फिलहाल फरार है। बाकी बचे 6 आरोपियों पर मंगलवार को कोर्ट ने फैसला सुना दिया।
1992 का अजमेर गैंगरेप कांड
बता दें कि यह मामला 1992 का है, जिसमें 100 से ज्यादा कॉलेज-स्कूल की छात्राओं के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया गया था। दरअसल, 1990-1992 के बीच अजमेर सेक्स स्कैंडल का मास्टरमाइंड तत्कालीन अजमेर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष फारूक चिश्ती ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था। इन लोगों ने मिलकर पहले एक व्यापारी के बेटे के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए और फिर उसका वीडियो बनाकर लड़के को ब्लैकमेल करने लगे। इतना ही नहीं आरोपियों ने लड़के को ब्लैकमेल कर उसकी गर्लफ्रेंड को भी पोल्ट्री फार्म पर बुलाया और उसके साथ गैंगरेप किया। जिसके बाद पीड़िता पर दबाव बनाया कि वह अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियों की अश्लील व न्यूड फोटो शेयर करें।
100 से ज्यादा लड़कियों के साथ गैंगरेप
किसी तरह आरोपियों ने 100 से ज्यादा लड़कियों के न्यूड फोटो एकत्रित कर लिए और फिर सभी लड़कियों को ब्लैकमेल कर बुलाने लगे। इस मामले में 100 से ज्यादा लड़कियों को हवस का शिकार बनाया गया। बाद में कुछ लड़कियों की अश्लील फोटो तक वायरल कर दी गई। अपनी न्यूड फोटो शेयर होने की वजह से 6 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया।
पुलिस की इस गलती से 32 साल बाद आया फैसला
इस कांड का जब खुलासा हुआ तो पूरा देश हिल गया। कैसे अजमेर के जाने माने प्राइवेट स्कूलों व कॉलेज की छात्राओं की नग्न तस्वीरें बाहर आई। इस मामले में पहले 6 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया गया था। जिसमें हरीश तोलानी, फारुख चिश्ती, कैलाश सोनी, परवेज अंसारी, पुरुषोत्तम, नसीम, अनवर चिश्ती, महेश लुधानी, शम्सू उर्फ माराडोना, जहूर चिश्ती और पूतन इलाहाबादी का नाम शामिल था।
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पहली चार्जशीट 30 नवंबर 1992 में 8 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की और फिर 4 आरोपियों के खिलाफ 4 अलग-अलग चार्जशीट दायर की गई। वहीं, 6 आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने बाद में चार्जशीट दायर की। पुलिस की इस एक गलती की वजह से केस की सुनवाई में 32 साल का समय लग गया।