केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका (Caveat Petition) दायर की है। इस याचिका का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्यायालय इन मामलों में बिना सरकार की बात सुने कोई आदेश न दे। आइए जानते हैं कि कैविएट याचिका क्या होती है, इसे कौन दाखिल कर सकता है और इससे जुड़े कानूनी पहलू क्या हैं…..
कैविएट याचिका (Caveat Petition): एक सुरक्षा कवच
- परिभाषा: “कैविएट” लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है “सावधानी”। यह एक कानूनी नोटिस है जो किसी पक्ष द्वारा न्यायालय में दाखिल किया जाता है ताकि उसके बिना सुने कोई आदेश न पारित हो।
- कानूनी आधार: सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC), 1963 की धारा 148-A में इसका प्रावधान है।
- मुख्य उद्देश्य: किसी पक्ष को अचानक हुए नुकसान से बचाना और न्यायिक प्रक्रिया में उसकी आवाज़ सुनना।
कौन दाखिल कर सकता है कैविएट?
- कोई भी व्यक्ति या संस्था जो किसी मामले में प्रभावित हो सकती है।
- उदाहरण: वक्फ कानून के मामले में केंद्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर यह सुनिश्चित किया कि याचिकाकर्ताओं की दलीलों के जवाब में उसकी बात भी सुनी जाए।
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कैविएट याचिका दाखिल करने की प्रक्रिया
- दस्तावेज:
- शपथ पत्र (Affidavit)
- वकालतनामा (Vakalatnama)
- पहचान प्रमाण (आधार कार्ड)
- संबंधित मामले के दस्तावेजों की प्रति
- समयसीमा:
- कैविएट दाखिल होने के 90 दिन तक वैध रहती है। इसके बाद इसे नवीनीकृत करना होता है।
- नोटिस:
- संबंधित पक्षों को पंजीकृत डाक से सूचित किया जाना अनिवार्य।
वक्फ संशोधन एक्ट 2025: क्यों है विवाद?
- पृष्ठभूमि: वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े इस कानून को लेकर मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में 12 से अधिक याचिकाएं दायर की हैं।
- प्रमुख याचिकाकर्ता:
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
- जमीयत उलेमा-ए-हिंद
- एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
- कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद
- अगली सुनवाई: 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सूचीबद्धता की उम्मीद।
क्यों महत्वपूर्ण है कैविएट याचिका Caveat Petition ?
- न्यायालय को एकतरफा आदेश देने से रोकती है।
- कानूनी लड़ाई में पारदर्शिता बढ़ाती है।
- केंद्र सरकार की यह रणनीति वक्फ कानून पर उठे सवालों का जवाब देने के लिए अहम है।