हिंदी कहानी के वास्तविक जनक चंद्रधर शर्मा गुलेरी, ”उसने कहा था” इस एक कहानी से हुए थे मशहूर

Pandit Chandradhar Sharma Guleri Puniyatithi 2023: हिंदी कथा साहित्य को एक नई दिशा देने वाले हिंदी कहानी के वास्तविक जनक पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की आज पुण्‍यतिथि है। लेखक, पत्रकार, विमर्शकार, अनुसंधनकर्ता और शास्त्रज्ञ आदि जैसे रूपों में गुलेरी जी को सम्‍मान के साथ याद किया जाता है। यूं तो उनके कार्यों की सूची लंबी है मगर समाज उन्हें केवल एक कहानी ‘उसने कहा था’ से जानता है। उसने कहा था’ एक ऐसी अविस्मरणीय कहानी है जिसने भारतीय साहित्य में गुलेरी को अक्षय कीर्ति प्रदान की, जिसने हिंदी कहानी को नई दिशा दी। तो चलिए जानते हैं उनके बारे में………

7 जुलाई 1883 को हिमाचल में हुआ जन्म

गुलेरी जी का जन्म 7 जुलाई, 1883 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के गुलेर गांव में हुआ था। इस कारण उनके नाम के साथ गुलेरी लिखा जाता है। वह कई भाषाओं में सिद्धहस्त थे और अपने अध्ययन काल के दौरान ही मासिक पत्र ‘समालोचक’ का उन्होंने संपादन किया और काशी नागरी प्रचारिणी सभा से भी जुड़े रहे। गुलेरी जी के लेखन का एक बड़ा हिस्सा अकादमिक और शोधपरक है।

खगोल विज्ञान और शोध में विशेष रुचि

गुलेजी जी की खगोल विज्ञान और शोध के क्षेत्र में विशेष रुचि थी। राजपंडित के घर में जन्म लेने के कारण बचपन से उन्हें धार्मिक कर्मकांड का वातावरण मिला और उन्होंने वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत का विपुल ज्ञान अर्जित कर लिया, जिसकी झलक उनकी रचनाओं विशेषकर निबंधों और शोध लेखों में मिल जाती है।

पद्मावती से हुआ था विवाह

उनके विवाह की भी बडी दिलचस्प कहानी हैं। गुलेरी जी की पुत्री डॉ. अदिति गुलेरी ने एक संस्‍मरण में बताया है कि लगभग बीस-बाइस वर्ष की अवस्था में गुलेरी जी का विवाह पद्मावती से हुआ था। प्रसंग है कि गुलेर गांव में उनके विवाह की तैयारियों हो चुकी थीं। दुर्भाग्यवश कन्या के पिता का देहांत हो गया। पिता शिवरामजी असमंजस में पड गए। वह बेटे को अविवाहित लेकर जयपुर नहीं लौटना चाहते थे क्‍योंकि उन्हें जयपुर राज्य की ओर से विवाह के लिए पांच सौ रुपये की सहायता प्राप्‍त हुई थी। इसीलिए शीघ्र ही ‘हरिपुर’ निवासी कवि रैणा की पुत्री पद्मावती से उनका विवाह करवाया गया।

चंद्रधर शर्मा गुलेरी की प्रमुख कहानियां

गुलेरी जी के लेखन में विनोद के साथ ही मार्मिकता का भाव निरंतर प्रवाहित हुआ है। कठिन मुहावरों, सौम्य भाषा प्रवाह से युक्त किस्साबयान उनकी करती रचनाएं पाठकों को आज भी गुदगुदाती है। निर्विकार प्रेम, त्याग और देशभक्ति से भरी उनकी कहानी ‘उसने कहा था’ पाठक के मर्मस्थल को छू जाती है। इसे हिंदी साहित्य में बेहतरीन कहानियों में गिना जाता है। वहीं ‘सुखमय जीवन’ कहानी एक ऐसे व्यक्ति की रोचक कथा है, जिसने स्वयं ही गृहस्थ जीवन के अनुभव पर केंद्रित पोथी लिखी और उसी के इर्दगिर्द अपने जीवन को दर्शाया। इसके अलावा ‘धर्मपरायण रीछ’, ‘बुद्धू का कांटा’, ‘घंटाघर’ और ‘हीरे का हीरा’ उनकी प्रमुख कहानियां हैं। गुलेरी जी के निबंध ‘मारेसि मोहिं कुठांउ’, ‘पुरानी हिंदी’, ‘देवकुल’, ‘आंख’ और ‘कछुआ धर्म’ आदि साहित्य की संपदा हैं। हिंदी को हर प्रकार से समृद्ध करने वाले गुलेरी जी ने 12 सितंबर 1922 को 39 वर्ष की अल्पआयु में ही शरीर त्याग दिया।