कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफे की घोषणा करते हुए राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी। लिबरल पार्टी के नेता और 2015 से प्रधानमंत्री पद संभाल रहे ट्रूडो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “प्रधानमंत्री के रूप में हर दिन सेवा करना मेरे लिए गर्व की बात रही। हमने लोकतंत्र, कारोबार और नागरिकों के हित में कार्य किया। लेकिन अब कनाडा को एक नई दिशा और नेतृत्व की आवश्यकता है।”
इस्तीफे की पृष्ठभूमि
भारत-कनाडा रिश्तों में तनाव
पिछले कुछ समय से भारत और कनाडा के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाए थे, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज कर दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया। ट्रूडो के इस रुख को लेकर आलोचना हुई कि वह कनाडा में सिख समुदाय के वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए भारत के प्रति कठोर रुख अपना रहे थे। कनाडा में भारतीय मूल के लोग, विशेषकर सिख समुदाय, राजनीतिक दृष्टि से बेहद प्रभावशाली हैं।
घरेलू राजनीति में गिरती लोकप्रियता
ट्रूडो की लिबरल पार्टी को हाल ही में टोरंटो के उपचुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी से हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, उनकी लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई। दिसंबर 2024 के सर्वे के अनुसार, केवल 22% कनाडाई नागरिक उनके नेतृत्व का समर्थन कर रहे थे। इसके अलावा, उनकी अल्पमत सरकार को न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) का समर्थन खोने का भी खतरा था। एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने पहले ही कई मुद्दों पर ट्रूडो की आलोचना की थी।
अमेरिका का दबाव
डोनाल्ड ट्रंप, जो हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए फिर से चुने गए हैं, ने कनाडा पर 25% आयात शुल्क बढ़ाने की चेतावनी दी थी। कनाडा के कुल निर्यात का 75% अमेरिका पर निर्भर है, जिससे यह कदम उसकी अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकता है। ट्रूडो ने इस मुद्दे को लेकर ट्रंप से बातचीत की थी, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
लिबरल पार्टी के अगले नेता की खोज
जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि लिबरल पार्टी का अगला नेता कौन होगा। संभावित दावेदारों में टोरंटो की सांसद और पूर्व उपप्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड, पूर्व सेंट्रल बैंक गवर्नर मार्क कार्नी, परिवहन मंत्री अनिता आनंद और विदेश मंत्री मेलनी जोली शामिल हैं।
ट्रूडो का राजनीतिक सफर
2015 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने वाले जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा में एक प्रगतिशील एजेंडा लागू किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और सामाजिक न्याय के लिए कई कदम उठाए। हालांकि, हाल के वर्षों में उनकी नीतियों को लेकर विवाद और आलोचना बढ़ी।
भविष्य की राह
कनाडा में अक्टूबर 2025 से पहले चुनाव होने की संभावना है। लिबरल पार्टी को अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक मजबूत नेता और रणनीति की जरूरत होगी। दूसरी ओर, कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पिएरे पोलिविएयर अपनी बढ़ती लोकप्रियता के कारण अगले चुनावों में मजबूत दावेदारी पेश कर सकते हैं।
निष्कर्ष
जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा कनाडा की राजनीति में एक बड़ा मोड़ है। उनके नेतृत्व में देश ने कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन हालिया विवादों और गिरती लोकप्रियता ने उनके इस्तीफे की राह तैयार की। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कनाडा किस दिशा में आगे बढ़ता है और नया नेतृत्व देश की समस्याओं का समाधान कैसे करता है।