Chamoli Avalanche update: उत्तराखंड के चमोली जिले में बदरीनाथ धाम के समीप स्थित माणा गांव के पास शुक्रवार को भारी एवलांच हुआ। इससे सीमा सड़क संगठन के अधीन माणा पास सड़क निर्माण का कार्य कर रही विजय इंफ्रा कंसंक्नशन प्राइवेट लिमटेड के 55 मजदूर कर्मचारी बर्फ में दब गए। अभी तक बर्फ में दबे 33 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया है। इनका उपचार आईटीबीपी हॉस्पिटल माणा में चल रहा है। बाकी मजदूर लापता हैं।
सीएम धामी जाएंगे सर्च ऑपरेशन का जायजा लेने
वहीं मुख्यमंत्री धामी शनिवार को बद्रीनाथ धाम आएंगे और घायल मजदूरों का हाल-चाल जानेंगे। बद्रीनाथ धाम में आईटीबीपी आर्मी की ओर से चलाए जा रहे सर्च ऑपरेशन का जायजा लेंगे।
अब तक 33 मजदूरों का रेस्क्यू
जानकारी के मुताबिक, माणा गांव में माणा पास हाईवे पर सड़क सुधारीकरण का काम हो रहा है। ये सभी मजदूर इसी कार्य के लिए यहां मौजूद थे। हादसे के वक्त सभी मजदूर कंटेनर्स के अंदर थे। ये कंटेनर मजदूरों के लिए बनाए गए हैं जो माणा पास एंट्री के पास हैं। भारी बर्फबारी के कारण सभी कंटेनर्स में ही मौजूद थे। मजदूरों के अलावा यहां मशीन ऑपरेटर्स भी हैं। हिमस्खलन होने पर कुछ लोग बाहर की ओर भागे जबकि बाकी अंदर ही फंस गए।
खराब मौसम के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन रोका
घटना के बाद सेना और आईटीबीपी के जवानों ने रेस्क्यू अभियान चलाकर 33 घायलों को निकाला। बाकी मजदूरों का अभी कुछ पता नहीं चल सका है। देर शाम तक इनकी तलाश की गई, लेकिन इसके बाद तेज बर्फबारी और क्षेत्र में आठ फीट तक बर्फ जमी होने से रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा। मौसम साफ होने पर शनिवार सुबह फिर रेस्क्यू अभियान शुरू किया जाएगा।
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सीएम धामी ने की आपात बैठक
वहीं चमोली में एवलॉन्च की घटना मिलते ही सीएम धामी ने देहरादून स्थित राज्य आपदा परिचालन केंद्र पहुंच कर अधिकारियों के साथ बैठक की और स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य संचालित करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार आपदा प्रभावितों के साथ पूरी तरह खड़ी है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार ले रही पल पल की अपडेट
वहीं चमोली जिले में माणा के पास हुए हिमस्खलन की घटना के बाद वहां चल रहे राहत एवं बचाव कार्य पर केंद्र सरकार बराबर नजर बनाए हुए है। गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लगातार इस संबंध में अपडेट ले रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। पीएमओ कार्यालय लगातार सम्पर्क में है। उन्होंने बताया कि भारतीय वायु सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर की मदद के लिए एयरफोर्स को पत्र भेज दिया गया है।
जिला प्रशासन से मांगी गई जानकारी
जिलाधिकारी डॉ संदीप तिवारी ने बताया कि पीएमओ से रेस्क्यू को लेकर पल पल की जानकारी मांगी जा रही है। बताया कि मुख्यमंत्री शनिवार को रेस्क्यू कार्यों को तेजी लाने के लिए जोशीमठ पहुंच रहे हैं। हालांकि रेस्क्यू को लेकर सबकी नजर मौसम पर टिकी हुई है। अगर मौसम साफ हुआ और बर्फबारी वर्षा बंद हुई तो हेली के जरिए ही रेस्क्यू में तेजी लाई जा सकती है। फिलहाल तो लगतार बर्फबारी व वर्षा के चलते रेस्क्यू को लेकर सारा दारोमदार मौसम पर है। दिनभर खराब मौसम के चलते सड़क से लेकर हवाई रेस्क्यू तक नहीं हो पाया है। ऐसे में माणा में मौजूद सेना व आईटीबीपी रेस्क्यू के लिए वरदान साबित हुई है।
हेल्पलाइन नंबर जारी
चमोली माणा ग्लेशियर हादसे के बाद शासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिये हैं। जानकारी के लिए मोबाईल नं० – 8218867005, 9058441404 दूरभाष नं०- 0135 2664315 पर फोन कर सकते हैं। साथ ही टोल फ्री नं0- 1070 भी जारी किया गया है।
बचाव कार्य के लिए अलर्ट सेना
गढ़वाल रायफल्स और 7 असम की यूनिट राहत बचाव में जुटी हुई है। 170 से ज्यादा सैनिक ऑपरेशन में हैं। ग्लेशियर फटने की घटना के बाद ही सेना को तैनात किया गया था। मौके पर डॉक्टर की टीम, एम्बुलेंस, बर्फ हटाने के लिए इंजिनियर उपकरण तैनात है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को भेजा गया है। हिमस्खलन को लेकर बीआरओ की टीमें भी बचाव कार्य में जुट गई हैं।
मौसम विभाग का अलर्ट जारी
बता दें पिछले दो दिन दिनों से चमोली में लगातार बारिश और बर्फबारी का दौर जारी है। माणा पास में भी इस समय बर्फबारी हो रही है। जिसके कारण घटनास्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं। वहीं अगले 24 घंटे तक चमोली में मौसम खराब रहने का अलर्ट है। 7 जिलों के लिए मौसम विज्ञान केंद्र से अलर्ट जारी किया गया है। बागेश्वर, चमोली, देहरादून, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी में तेज बारिश हो सकती है।
लोगों को आई रैणी आपदा की याद
चमाेली में इस हिमस्खलन की घटना ने साल 2021 में चमोली के रैणी में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा की याद दिला दी। तब ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा में बाढ़ के कारण 206 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, कई अब भी लापता है।