आज हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ है। हिमालय पर प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन, लगातार कटते पेड़ पौधे, सिमटते ग्लेशियर, सूखती नदियां और हिमालय तक पहुंचता प्रदूषण किसी भी हाल में रुके, इसके लिए हर साल हिमालय दिवस मनाया जाता है।
हिमालय दिवस का इतिहास
हिमालय के संवेदनशील पर्यावरण के लिए चिंतित देशभर के सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने मिलकर साल 2010 में देहरादून स्थित हेस्को केंद्र शुक्लापुर में डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के नेतृत्व में एक बैठक कर हर वर्ष 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनाने का निर्णय लिया था।
हिमालय दिवस का महत्व
हिमालय विविध वनस्पतियों और जीवों से परिपूर्ण एक बहुत समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का घर है। इसलिए इसे संरक्षित करने की जरूरत है। वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ावा देने के अलावा, यह दिन जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने में मदद करता है।
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हिमालय सबसे युवा पर्वत श्रृंखला
हिमालय, जो कई नदियों, झरनों, गाड-गदेरों, प्राकृतिक जल स्त्रोतों का भण्डार माना जाता है जहां से सदियों से कई जलधाराऐं अविरल बहती आई है। यहां ग्लेश्यिरों की कोई कमी नहीं है। समय की गति की तरह जहां से लगातार जल प्रवाह होता रहा है, लेकिन मौजूदा दौर में हालात बदल रहे हैं। धीरे-धीरे यहॉ जल स्त्रोत सूखते जा रहे हैं। खासतौर पर उतराखंड के हिमालय क्षेत्रों में सूखते जलस्त्रोतों से वैज्ञानिक चिन्तित है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालयी क्षेत्रों में अबाध गति से अनियत्रित निमार्ण हो रहा है।
खतरे में है हिमालय
हिमालय की आबोहवा लगातार खराब हो रही है, हवा में ब्लैक कार्बन, ग्लेश्यिरों का तेजी से पिघलना, बारिश का अनियमित होकर बादल फटने जैसी तमाम घटनाओं का घटना, लगातार हिमालय की खराब सेहत का संकेत दे रहे हैं। प्रदूषण, मानव क्रियाकलाप यहां की पारिस्थिकी पर लगातार प्रभाव डाल रहा है, ऐसे में जल्द प्रभावी कदम नही उठाये जाते हैं तो हिमालय ही मानव अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा।
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हिमालय दिवस पर निकाली जागरुकता रैली
हिमालय के प्रति सबकी समझ बने, इस संदेश के साथ देहरादून में जुलूस का आयोजन किया गया है। हिमालय पुत्र के नाम विख्यात पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी ने हिमालय दिवस पर जागरुकता रैली निकाल लोगों से हिमालय संरक्षण में भागीदारी का आह्वान किया। हिमालय दिवस पर हिमालय बचाओ अभियान के तहत राजधानी के घंटाघर से शुरू हुई इस रैली में सैकड़ों पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए। रेंजर ग्राउंड से घंटाघर होते हुए रैली गांधी पार्क पहुंची। अपनी रैली के जरिए उन्होंने कहा कि सबका हिमालय को समझने का समय आ चुका है। जो यहाँ बसे हैं, दूर हैं या फिर सैलानी। क्योकि इसने सबकी सेवा की और स्वागत किया। इसे अकेला ना छोड़ें और ना भोगने का सामान समझें ये खुद में जीवित है और हमारा भी जीवन इसी से है।
मुख्यमंत्री ने दी हिमालय दिवस की बधाई
वहीं हिमालय दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण में हम सभी की भागीदारी जरूरी है। हिमालय न केवल भारत बल्कि विश्व की बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित करता है। यह हमारा भविष्य एवं विरासत दोनों है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से हिमालय को सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेदारी है।
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राज्यपाल ने दी हिमालय दिवस की बधाई
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने सभी प्रदेशवासियों को हिमालय दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि पर्वतराज हिमालय भारत ही नहीं, अपितु पूरे विश्व की अमूल्य धरोहर है। मानव जीवन की सुरक्षा, सभ्यता और संस्कृति के केंद्र हिमालय के संरक्षण के लिए जनसहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिमालय का संरक्षण हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।