Hindi Journalism Day 2024: पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। कहते हैं समाज को आइना दिखाने का काम पत्रकार करते हैं।
पत्रकारिता (Journalism) में देश और समाज के मुद्दों, घटनाओं और समाचारों को देशभर के लोगों तक पहुंचाया जाता है और उन्हें अवगत कराने की कोशिश की जाती है। इस पत्रकारिता को बढ़ावा देने और सराहने के लिए ही हर साल 30 मई के दिन हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है।
उदन्त मार्तण्ड” पहला हिंदी समाचार पत्र
30 मई की तारीख भारतीय इतिहास में हिन्दी पत्रकारिता दिवस के तौर पर दर्ज हुई। यही वो तारीख थी जब ‘उदन्त मार्तण्ड’ नाम से पहला हिन्दी अखबार निकाला गया। इसे पहली बार 30 मई 1826 को साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर निकाला गया। इसलिए इस दिन को ही हिंदी पत्रकारिता दिवस का दिन मान लिया गया।
कलकत्ता से शुरू हुआ था “उदन्त मार्तण्ड”
ये वो समय था जब भारत पर ब्रिटिश शासन का कब्जा था। भारतीयों के अधिकारों को दबाया और उन्हें कुचला जाता था। ऐसे में हिंदुस्तानियों की आवाज को उठाने के लिए पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने “उदन्त मार्तण्ड” अखबार का प्रकाशन शुरू किया। इसका प्रकाशन पहली बार कलकत्ता में हुआ था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल इस साप्ताहिक अखबार के प्रकाशक और संपादक थे। पंडित जुगल किशोल शुक्ल कानपुर के रहने वाले थे जो पेशे से वकील थे। हालांकि उनकी कर्मस्थली कलकत्ता रही।
कलकत्ता अंग्रेजों का बड़ा केंद्र था। कलकत्ता में अंग्रेजी और उर्दू और दूसरी भाषा के अखबर मौजूद थे, लेकिन हिन्दी भाषा के लोगों के पास उनकी भाषा का कोई अखबार नहीं था। उस दौर में हिंदी भाषियों को अपनी भाषा के समाचार पत्र की जरूरत महसूस हो रही थी।
मंगलवार को निकलता था अखबार
जुगल किशोर ने इसकी शुरुआत के लिए कलकत्ता को चुना।कोलकाता के बड़ा बाजार इलाके के अमर तल्ला लेन, कोलूटोला से साप्ताहिक अखबार के तौर पर इसकी शुरुआत हुई। मंगलवार इसके प्रकाशन का दिन था, जब पाठकों के हाथों में पहला हिन्दी का अखबार पहुंचता था। ‘उदन्त मार्तण्ड’ के नाम का मतलब था समाचार सूर्य। अपने नाम की तरह ही यह हिन्दी समाचार दुनिया के सूर्य जैसा ही था।
पहले अंक की 500 प्रतियां छपीं
‘उदन्त मार्तण्ड’ अपने आप में एक साहसिक प्रयोग था, जिसकी पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गई थीं। हिन्दी भाषी पाठकों की कमी के कारण कलकत्ता में उसे उतने पाठक नहीं मिले। कलकत्ता को हिन्दी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण अखबार को डाक के जरिए भेजा जाता था, लेकिन डाक विभाग की दरें ज्यादा होने के कारण इसे हिन्दी भाषी राज्यों में भेजना चुनौती बन गया। इसके विस्तार में दिक्कतें होने लगीं।
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इसका समाधान निकालने के लिए पंडित जुगल किशोर ने ब्रिटिश सरकार से डाक दरों में रियासत की बात कही ताकि हिन्दी भाषी प्रदेशों में इसे पाठकों तक पहुंचाया जा सके, लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई।
कुछ महीनों में बंद हो गया पहला हिंदी समाचार पत्र
पैसों की तंगी की वजह से ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन लम्बे समय तक नहीं चल सका। नतीजा, 4 दिसम्बर 1826 में इसका प्रकाश बंद कर दिया गया। 79 अंक निकालने के बाद पंडित जुगल किशोर ने लिखा कि आज दिवस लौं उग चुक्यौ मार्तण्ड उदन्त, अस्ताचल को जात है दिनकर दिन अब अन्त. भले ही यह अखबार लम्बी दूरी नहींं तय कर पाया, लेकिन इतिहास में अपनी खास जगह बनाई और इसके बाद कई हिन्दी अखबारों का दौर शुरू हुआ, जो जारी है।