देश में महिलाओं की राजनीतिक जागरूकता और भागीदारी के संकेत देते हुए, 2025 की मतदाता सूची में 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक हो गई है। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर कुल महिला मतदाताओं की संख्या अभी भी पुरुषों से 2.33 करोड़ कम है।
महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि
भारत के कुल 99 करोड़ से अधिक मतदाताओं में 50.7 करोड़ पुरुष, 48.3 करोड़ महिलाएं (48.8%), और 48,870 तीसरे लिंग के मतदाता शामिल हैं। पिछले साल ऐसे 12 राज्य थे, जहां महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी, जबकि इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 14 हो गया है। इस सूची में असम, कर्नाटक और नागालैंड नए नाम हैं।
महिला नेतृत्व वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश
इस साल जिन 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिला मतदाता संख्या पुरुषों से अधिक है, उनमें शामिल हैं:
- आंध्र प्रदेश
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- छत्तीसगढ़
- कर्नाटक
- केरल
- मणिपुर
- मेघालय
- मिजोरम
- नागालैंड
- पुडुचेरी
- तमिलनाडु
- तेलंगाना
- चंडीगढ़
हालांकि, चंडीगढ़ में स्थिति उलट गई है, जहां पुरुष मतदाताओं ने फिर से बढ़त हासिल कर ली है।
लिंग अनुपात में सुधार के संकेत
देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 22 का लिंग अनुपात राष्ट्रीय औसत 954 से बेहतर है। विशेष रूप से पुडुचेरी (53.2%), केरल (51.7%), मणिपुर (51.7%), और मिज़ोरम (51.6%) जैसे राज्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक है।
महिलाओं की राजनीतिक जागरूकता
2024 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत (65.8%) पुरुषों (65.6%) से अधिक रहा, जो उनकी बढ़ती राजनीतिक भागीदारी को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव महिलाओं की शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक स्थिति में सुधार का परिणाम है।
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राष्ट्रीय स्तर पर अभी भी महिला मतदाताओं की संख्या में अंतर को पाटने की जरूरत है। यह बदलाव न केवल लिंग समानता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।
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