उत्तराखंड में जिन मूल निवासियों के पूर्व में मूल निवास प्रमाण पत्र बने हुए हैं, उन्हें स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने की जरूरत नहीं होगी। शासन ने सभी विभागों को कड़ाई से इन आदेशों को लागू करने के निर्देश जारी किए।
राज्य में मूल निवास की पहचान बरकरार रहेगी। राज्य के मूल निवासियों, सामाजिक संगठनों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने स्पष्ट आदेश जारी कर दिए हैं। इसके तहत राज्य में मूल निवास प्रमाण पत्र की वैधता बनी रहेगी।सचिव सामान्य प्रशासन विनोद कुमार सुमन की ओर से बुधवार को विधिवत आदेश जारी किए गए।
मूल निवास प्रमाण पत्र वालों से अब नहीं मांगा जाएगा स्थाई निवास
सचिव ने आदेश में कहा कि शासन के संज्ञान में आया है कि कई विभागों में मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जाने को बाध्य किया जा रहा है। जबकि 28 सितंबर 2007 को जारी आदेश में साफ कर दिया गया था कि मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों के लिए स्थाई निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। इसके बावजूद सेवायोजन, शैक्षणिक संस्थाओं, सरकारी योजनाओं समेत अन्य विभिन्न कार्यों में उत्तराखंड के मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
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सचिव ने अपने आदेश में दोहराया कि जिन भी कार्यों के लिए स्थाई निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, उन कार्यों के लिए मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र दिखाने को बाध्य नहीं किया जाएगा। मूल निवास प्रमाण पत्र ही मान्य होगा।
मुख्यमंत्री के संज्ञान लेने के बाद आदेश जारी
मूल निवास प्रमाण पत्र को लेकर विभागों और अन्य संस्थाना में बरती जा रही लापरवाही का सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गंभीरता से संज्ञान लिया। उन्होंने सामाजिक संगठनों की ओर से मूल निवास की पहचान को लेकर उठाए जा रहे सवालों को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को सख्त व्यवस्था जारी किए जाने के निर्देश दिए। इसी क्रम में बुधवार को सचिव सामान्य प्रशासन की ओर से मूल निवास प्रमाण पत्र को लेकर स्पष्ट आदेश जारी किए।
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