हरिद्वार के रिटायर्ड भेलकर्मी की पत्नी ने अमेरिका में लहराया देश का परचम, वेट लिफ्टिंग में जीता ब्रॉन्ज मेडल

देशभर के विभिन्न हिस्सों में अनगिनत कलाओं से परिपूर्ण मेधावी खिलाड़ियों द्वारा विदेशी जमीन पर भी अपनी सर जमीन का नाम रोशन करने में बेहद अहम और अग्रणी भूमिका लगातार निभाई जा रही है उसी क्रम में हरिद्वार की 59 वर्षीय महिला द्वारा भी आज अमेरिका जैसे देश की जमीन पर भारत का नाम रोशन करते हुए अपना परचम लहराने का काम किया गया है ।

रिपोर्ट- Amit Giri


दरअसल हरिद्वार स्थित महारत्न कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) संस्थान में सेंट्रल फाउंड्री फोर्ज प्लांट (CFFP) के स्टील मेल्टिंग शॉप (SMS) में पर्यवेक्षक के पद पर सेवानिवृत्त बिजेंद्र सिंह की धर्मपत्नी संतोष द्वारा अमेरिका में आयोजित हुए वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता के दौरान ब्रोंज मेडल (कांस्य पदक) जीतकर तीसरा स्थान हासिल कर लिया गया है।

वेट लिफ्टिंग में जीता ब्रॉन्ज मेडल

रिटायर्ड भेलकर्मी बिजेंद्र सिंह के मुताबिक उनकी पत्नी संतोष शुरुआत से ही ब्यूटी पार्लर संचालिका हैं जिनके द्वारा अमेरिका के ऑईस्टिन (टैक्सस) शहर में आयोजित उच्च स्तरीय वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता में बतौर खिलाड़ी के रूप में शिरकत की गई थी उन्होंने बताया कि उनके 2 पुत्र हैं जिनमें से बड़ा पुत्र हरिद्वार स्थित भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड महारत्न संस्थान में ही उच्च पद पर कार्यरत है वंही उनकी पुत्रवधू भी उसी संस्थान में कार्यरत है जबकि दूसरा एंव छोटा पुत्र अमेरिका के उसी शहर में नौकरी करता है जहां उनकी माँ संतोष द्वारा अमेरिका में आयोजित वेट लिफ्टिंग की इस चर्चित प्रतियोगिता में हिस्सा लिया गया है और इस प्रतियोगिता की 57 किलोग्राम भार वर्ग में हरिद्वार की गंगानगरी कॉलोनी स्थित B-10 की निवासी संतोष द्वारा मास्टर 3 श्रेणी में अपनी जीत हासिल करते हुए कांस्य पदक पर अपना कब्जा जमा लिया गया, अमेरिका की जमीन पर अपने देश भारत का नाम रोशन करके हरिद्वार स्थित अपने आवास पर वापस लौटी कांस्य पदक विजेता संतोष के परिवार सहित उनके परिचितों और क्षेत्रवासियों द्वारा उनके शानदार प्रदर्शन पर हर्ष जताया गया है।

वंही कांस्य पदक जीतकर अपने वतन वापस लौटी संतोष ने बताया कि उनके द्वारा अपने पावर लिफ्टिंग कोच अमित कुमार की बदौलत ही उनके द्वारा इस मुकाम को हासिल किया गया है, इतना ही नहीं बल्कि प्रतियोगिता की इस विशाल मंजिल तक पहुंचने में उनकी वरिष्ठ सहयोगी मानसी त्रिपाठी द्वारा भी उन्हें हमेशा इसका प्रशिक्षण देकर मानसिक और शारीरिक रूप से बल देने का काम किया है उन्होंने कहा कि भविष्य में वह आजीवन दोनों की आभारी और ऋणी बनी रहेंगी !