हरियाणा की राजनीति में एक अमिट नाम, ओमप्रकाश चौटाला, जिन्होंने किसान राजनीति के बल पर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर तय किया, लेकिन साथ ही तिहाड़ जेल के सबसे बुजुर्ग कैदी होने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। 89 साल की उम्र में दुनिया छोड़ने वाले चौटाला ने हरियाणा की राजनीति को नई दिशा दी। पांच बार मुख्यमंत्री और सात बार विधायक रहे चौटाला को लगभग एक दशक जेल में बिताना पड़ा। उन्हें 2021 में कोरोना महामारी के दौरान रिहाई मिली थी, लेकिन मई 2022 में एक अन्य मामले में उन्हें फिर जेल जाना पड़ा।
जेबीटी भर्ती घोटाला और सजा
ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को 2013 में जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा सुनाई गई थी। उन पर 3000 से अधिक शिक्षकों की अवैध भर्ती का आरोप साबित हुआ। इसके चलते, तिहाड़ जेल में करीब 10 साल गुजारने वाले चौटाला तिहाड़ के सबसे बुजुर्ग कैदी बने।
राजनीतिक सफर और किसान केंद्रित दृष्टिकोण
चौटाला ने 1989 से 2005 तक पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनकी राजनीति का केंद्र बिंदु किसान और जाट समुदाय रहे। हरियाणा में जाटों की 27% आबादी और उनकी किसान आधारित पृष्ठभूमि के चलते चौटाला ने इस समुदाय को एकजुट किया और उनकी आवाज बने।
घोटाले का प्रभाव और पारिवारिक विभाजन
जेबीटी घोटाले ने न केवल चौटाला की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का दिया, बल्कि इसके बाद उनका परिवार भी विभाजित हो गया। उनके पोते दुष्यंत चौटाला ने 2019 में जननायक जनता पार्टी (JJP) का गठन कर इनेलो (INLD) से अलग राह चुनी।
अन्य कानूनी मामले
2022 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी चौटाला को दोषी ठहराया गया और उन पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। हालांकि, अगस्त 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया।
समर्थकों का अदालती प्रदर्शन
2013 में सजा सुनाए जाने के दौरान चौटाला के 4000 से अधिक समर्थकों ने अदालत को घेर लिया। पुलिस के साथ झड़पें हुईं, और अंततः हालात काबू में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
पारिवारिक जीवन और विरासत
ओमप्रकाश चौटाला अपने पीछे तीन बेटियां और दो बेटे – अजय चौटाला और अभय चौटाला – छोड़ गए। उनकी विरासत हरियाणा की राजनीति में लंबे समय तक याद की जाएगी।