कहानी उस इंटरनेट की, जिसके बिना एक दिन भी रह पाना मुश्किल

इंटरनेट के जन्म ने दुनिया को जितना बदला, उतना शायद ही किसी और चीज ने बदला हो। यदि एक दिन भी इंटरनेट को बंद कर दिया जाए, तो जीवन अधूरा सा लगता है। मौजूदा समय में इंटरनेट हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।


The story of the Internet

आधुनिक दौर में इंटरनेट किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह आज तमाम प्रॉब्लम्स का सिंगल सॉल्यूशन बन चुका है या यूं कहिए कि ये हमारी लाइफ में इतना जरूरी हो गया है कि अब हमारे पास जेब कैश कम और फोन में नेट फुल होता है। यानी ऑनलाइन पेमेंट से लेकर शॉपिंग और पढ़ाई से लेकर कारोबार सब कुछ इस पर डिपेंड करता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जिसके बिना हमारी लाइफ अधूरी है आखिर उसकी शुरुआत कब और कैसे हुई?

कैसे हुई इंटरनेट की शुरुआत

‘इंटरनेट‘ शब्द के पहले लिखित इस्तेमाल का श्रेय विंट सेर्फ़ को दिया जाता है। इंटरनेट की शुरुआत 29 अक्टूबर 1969 में शीत युद्ध के दौरान हुई थी। सोवियत संघ के स्पुतनिक सेटेलाइट के प्रक्षेपण ने अमेरिकी रक्षा विभाग को उन तरीकों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया जो परमाणु हमले के बाद भी सूचना का प्रसार कर सकते हैं, तब अप्रानेट (एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क) नाम का नेटवर्किंग प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया जिसे अब हम इंटरनेट के रूप में जानते हैं।

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कैसे मिला इंटरनेट नाम

दरअसल, अप्रानेट के निर्माण या कहे अप्रानेट के जन्म के बाद इसे साल 1974 में कमर्शियल तौर पर पेश किया गया। बता दें, “अप्रानेट” का इस्तेमाल पहली बार टेलनेट कंपनी ने किया था। इस कंपनी के इस्तेमाल के बाद ही इसे इंटरनेट नाम दिया गया। शुरुआत में इंटरनेट पर सूचना के आदान-प्रदान के लिए TCP (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल) का उपयोग होता था।

 इंटरनेट पर पहला संचार

इंटरनेट पर पहला सफल कम्युनिकेशन यानी संचार टिम बर्न्स ली ने किया था। टिम कम्प्यूटर साइंटिस्ट थे। उन्होंने ही 1991 में वर्ल्ड वाइट वेब (WWW) बनाया। मार्च 1989 में टिम ने इन्फोर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम का प्रपोजल तैयार किया। इस तरह पहली बार इंटरनेट पर HTTP (हाईपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल) क्लाइंट और सर्वर के द्वारा संचार संभव हुआ। टिम ने स्विटजरलैंड में यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन (CERN) में नौकरी के दौरान कंप्यूटर प्रोग्राम- HTML, URL और HTTP का आविष्कार किया।

गूगल ने बदली इंटरनेट की कहानी

1972 में ई-मेल यानी इलेक्ट्रॉनिक मेल की शुरुआत हुई। रे टॉमलिंसन ने ई-मेल का अविष्कार किया। 1985 में अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) ने एनएसएफनेट (NSFNET) बनाया। यह अप्रानेट से भी कई गुना बड़ा नेटवर्क था। हजारों कंप्यूटर्स को इससे जोड़ा गया। इसका मकसद भी अमेरिका में एडवांस रिसर्च और एजुकेशन को प्रमोट करना था। वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कार के 9 साल बाद 1998 में गूगल के आने के बाद इंटरनेट की पूरी कहानी ही बदल गई। सर्च इंजन गूगल ने इंटरनेट को तेजी से लोगों से जोड़ा।

भारत में इंटरनेट की शुरुआत

अब अगर हम भारत में इंटरनेट की शुरुआत पर बात करे तो, भारत में इंटरनेट की शुरुआत विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) कंपनी द्वारा इंटरनेट के जन्म के 26 साल बाद 15 अगस्त 1995 में की गई। VSNL कंपनी ने अपनी टेलीफोन लाइन के द्वारा पूरी दुनिया भर के कंप्यूटरों को भारत के कंप्यूटरों से जोड़ा और इस तरह भारत में इंटरनेट की शुरुआत की। इसके अलावा अन्य प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने भारत में इंटरनेट की शुरुआत के तीन साल बाद अर्थात 1998 से अपनी इंटरनेट सेवाएं प्रदान करना शुरू किया और आज भारत में अनेको कम्पनियां है जो इंटरनेट सेवाएं प्रदान कर रही है।

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इकॉनमी में इंटरनेट का योगदान

दुनिया में आज 3.9 अरब लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत की बात करें तो 2023 रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2022 तक भारत में 2 साल और उससे ज्यादा उम्र के 700 मिलियन से ज्यादा एक्टिव इंटरनेट यूजर्स थे। इनमें से, ग्रामीण भारत में 425 मिलियन यूजर्स थे जो एक्टिव इंटरनेट यूजर्स की तुलना में शहरी इलाको में, 295 मिलियन यूजर्स के साथ लगभग 44 प्रतिशत ज्यादा थी। यही नहीं पूरी दुनिया की इकोनॉमी में इंटरनेट का सबसे बड़ा योगदान है।