IAS Anuradha Pal: कौन हैं IAS अनुराधा पाल?, जो बनीं उत्तराखंड की पहली महिला आबकारी आयुक्त

IAS Anuradha Pal: उत्तराखंड बनने के बाद पहली बार एक महिला आईएएस अधिकारी को आबकारी आयुक्त बनाया गया है। पूर्व आयुक्त हरीशचंद्र सेमवाल की सेवानिवृत्ति के बाद सरकार ने IAS अनुराधा पाल को यह जिम्मेदारी सौंपी है।

उत्तराखंड की पहली महिला आबकारी आयुक्त

अनुराधा पाल साल 2016 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। उत्तराखंड में ऐसा पहली बार हुआ है, जब 25 सालों में किसी महिला को आबकारी आयुक्त बनाया गया है। अनुराधा पाल ने बीते सोमवार को आयुक्त कार्यालय पहुंचकर अपना कार्यभार भी संभाला लिया है। उन्होंने कहा कि जनभावनाओं का ध्यान रखते हुए राजस्व वृद्धि और अवैध व मिलावटी शराब की रोकथाम उनकी प्राथमिकता होगी।

कौन हैं IAS अनुराधा पाल ?

आईएएस अनुराधा पाल हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं और उनके पिता दूध बेचने का काम करते थे। उन्होंने हरिद्वार के नवोदय विद्यालय से स्कूली पढ़ाई के बाद गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग किया। 2008 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद टेक महिंद्रा कंपनी में सेलेक्शन हो गया।

ऐसे किया IAS बनने का सपना पूरा 

अनुराधा का एक मात्र लक्ष्य आईएएस बनना था। इसलिए उन्होंने टेक महिंद्रा की जॉब छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने तीन साल तक कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, रुड़की में बतौर लेक्चरर पढ़ाया। साल 2012 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा क्लीयर की, लेकिन उनकी 451वीं रैंक थी। जिसके चलते वह आईएएस नहीं बन सकीं। लेकिन अनुराधा पाल ने यूपीएससी की तैयारी नहीं छोड़ी और फाइनली 2015 में उन्होंने ऑल इंडिया 62वीं रैंक के साथ पास किया और आईएएस बनने का सपना पूरा हुआ।

 

डीएम बागेश्वर रह चुकी हैं अनुराधा

अनुराधा डीएम बागेश्वर रह चुकी हैं। उनके पास स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य प्रशासनिक कार्यों का अनुभव है। पूर्व आयुक्त हरीशचंद्र सेमवाल की सेवानिवृत्ति के बाद सरकार ने उन्हें विभाग की कमान सौंपी है। उनकी नियुक्ति रणनीतिक तौर पर मानी जा रही है, क्योंकि राज्य में कई जगहों पर शराब की दुकानों को लेकर महिलाओं का संघर्ष सामने आया है, जिसकी वजह से कई नए ठेकों के लाइसेंस भी रद्द करने पड़े।

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बता दें कि आबकारी विभाग लाइसेंस नवीनीकरण में भी राजस्व लक्ष्य से पिछड़ चुका है। ऐसे में नई आबकारी नीति (2025-26) के तहत 5060 करोड़ का राजस्व लक्ष्य हासिल करना विभाग के सामने बड़ी चुनौती है।