कौन है कंचन जदली ? जिसकी पहाड़ी ‘लाटी’ कैप्टन कूल को भी भायी

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को कार्टूनिस्ट कंचन जदली का कार्टून किरदार इतना पंसद आया कि उन्होंने कंचन को अपने घर का पता दे दिया। कहा, कि इस पते पर इन कार्टून को पार्सल करा दो।


दरअसल, लाटी किरदार से लोगों के बीच चर्चाओं में आई कंचन जदली अपने कार्टून से लोगों को उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू कराती हैं। लाटी के इन कार्टून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने सोशल मीडिया पर साझा कर चुके हैं। अब महेंद्र सिंह धोनी को युवा कार्टूनिस्ट कंचन जदली का कार्टून किरदार लाटी खूब पसंद आया। तो आईये जानते हैं कौन है कंचन जदली ? और कैसे पहाड़ की संस्कृति व खूबसूरती को देश और दुनिया तक पहुंचा रही हैं…….

पहले ये जान लेते हैं

बता दें कि कैप्टन कूल धोनी हाल ही में उत्तराखंड प्रवास पर आए थे। यहां छुट्टियां बिताने के बाद वह अपनी पत्नी साक्षी व बेटी जीवा के साथ वापस मुंबई लौट रहे थे। इसी दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर कंचन के कार्टून देखे तो उन्होंने अपने दोस्त को कंचन से बात करने को कहा। दोस्त ने भी कंचन को वीडियो कॉल कर दिया। धोनी ने करीब 12 मिनट तक उनसे व उनके परिवार से बात की। इसके बाद धोनी ने कंचन को अपना दिल्ली वाले आवास का पता बता दिया और कहा, इस पते पर इन कार्टून किरदार को पार्सल करा दो।

पहाड़ की संस्कृति व खूबसूरती को कर रही है जीवंत

कंचन लाटी आर्ट से हर पहाड़ी के मन में पहाड़ के लिए प्यार जगाना और उनको अपनी बोली-भाषा से जोड़े रखना चाहती हैं। दरअसल, जो लोग पहाड़ से पलायन कर चुके हैं। वो पहाड़ से दूर रहकर भी अपनी जड़ों यानी संस्कृति और समाज से जुड़े रहें, इसके लिए पहाड़ की बेटी कंचन जदली ने अनूठी पहल की है। वह अपने डिजिटल आर्ट के जरिये प्रवासियों को उत्तराखंड से जोड़ने का काम कर रही हैं। इसके साथ ही कंचन की ‘लाटी’ देश-दुनिया को भी देवभूमि की संस्कृति का दर्शन करा रही है।

मूल रूप से पौड़ी की रहने वाली है कंचन जदली

कंचन जदली मूल रूप से पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लाक के बिल्टिया गांव की रहनी वाली हैं। वर्तमान में उनका परिवार कोटद्वार में रहता है। उनके पिता सेना में थे, इसलिए उनकी तैनाती विभिन्न जगहों पर रही। इस कारण कंचन की स्कूली पढ़ाई गांव, कोटद्वार और इलाहाबाद में हुई।

बचपन से बनना चाहती थीं कलाकार

कंचन बचपन से कला के क्षेत्र में करियर बनना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई कला वर्ग से की। इसके बाद स्नातक और परास्नातक फाइन आर्ट्स से चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कालेज आफ आर्ट्स से किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पोस्टर आदि बनाने का काम शुरू किया। दो-तीन साल वह चंडीगढ़ में रहीं और फिर दिल्ली आ गईं। हालांकि, मेट्रो शहरों की अशांत जीवनशैली और अपनी माटी के लिए कुछ करने की इच्छा उन्हें वापस पहाड़ ले आई और पलायन के दर्द को महसूस कर ये अभियान शुरू किया।

कंचन ने अपनी आर्ट को लाटी आर्ट नाम दिया

अपने अभियान के लिए कंचन ने पहाड़ी लड़की का कार्टून चरित्र ‘लाटी‘ बनाया और अपनी आर्ट को लाटी आर्ट नाम दिया। इस कार्टून चरित्र और गुदगुदाती पंचलाइन से कंचन ने उत्तराखंडवासियों को पहाड़ से जोड़ने की कोशिश शुरू की। इसके लिए उन्होंने इंटरनेट मीडिया को माध्यम बनाया।

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कई विभाग ले रहे कंचन की लाटी आर्ट का सहारा

कंचन पहाड़ी कार्टून, चित्रों और गुदगुदाती पंचलाइन से लोगों को अपनी बोली भाषा से जुड़े रहने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वह उत्तराखंड के खानपान, वेशभूषा, लोक पर्व समेत प्रदेश की संस्कृति से जुड़े कई कार्टून बना चुकी हैं। कंचन की इस कला ने सोशल मीडिया पर खूब धमाल मचाया है। जिसके बाद कंचन की लाटी आर्ट का सहारा कई विभाग अपनी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए ले रहे हैं।

पीएम मोदी को भी भाया था लाटी किरदार

लाटी किरदार से चर्चा में आईं कंचन का कार्टून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पसंद आया था। उत्तराखंड के लोकपर्व पर बनाए कार्टून को पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा भी किया था।

हर पहाड़ी के मन में पहाड़ के लिए प्यार जगाना है उद्देश्य

लाटी का अर्थ पहाड़ में प्यारी, सीधी और नादान लड़की होता है। कंचन के अनुसार वह लाटी आर्ट के माध्यम से हर एक पहाड़ी के मन में अपने पहाड़ के लिए प्यार जगाना और उनको अपनी बोली-भाषा से जोड़े रखना चाहती हैं। इस प्रयास से कंचन का उद्देश्य यह भी है कि पहाड़ से पलायन कर गए लोग अपनी जड़ों की तरफ दोबारा लौटें।

कलाकृति भी बनाती हैं जदली

बता दें कि वर्ष 2020 में कंचन ने राज्य पुष्प ब्रह्मकमल व राज्य पक्षी मोनाल की कलाकृति और पहाड़ी कला से सजे मग, लाटी की ड्रेस वाले बबल हेड आदि बनाने शुरू किए थे।

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डिजीटल आईपैड का इस्तेमाल

कंचन अभी तक गौरा देवी, लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, प्रीतम भरतवाण, पवन दीप राजन समेत कई चर्चित चेहरों के भी स्कैच बना चुकी हैं। इसके लिए वह डिजीटल आईपैड का इस्तेमाल करती हैं। वह रिएलिस्टिक आर्ट फार्म में भी काम रही हैं।

सोशल मीडिया पर ‘लाटि आर्ट’ 

कंचन का इंस्टाग्राम पर ‘लाटि आर्ट’ के नाम से पेज है। साथ ही वह फेसबुक, व्हाटसएप और यूट्यूब के माध्यम से भी पहाड़ों की संस्कृति को सरल ढंग से ज़्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाती हैं। इतना ही नहीं वह ऑनलाइन वेबसाइट latiart.com के माध्यम से अपनी आर्ट को बिजनेस मॉडल भी दे रही हैं।

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वास्तव में कंचन ने अपनी कला और हुनर से लोगों को अपनी संस्कृति की और आकर्षित किया है, उनकी प्रतिभा दूसरे युवाओं के लिए प्रेणादायक है।